The State of Chhattisgarh is known as rice bowl of India and follows a rich tradition of food culture .The Food preparation falls in different categories . Most of the traditional and tribe foods are made by rice and rice flour , curd(number of veg kadis) and variety of leaves like lal bhaji,chech bhaji ,kohda , bohar bhaji. Badi and Bijori are optional food categories also Gulgula ,pidiya ,dhoodh fara,balooshahi ,khurmi falls in sweet categories.

Jai Sai Baba

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Thursday, August 20, 2020

Hartalika Teej - तीज

हरतालिका तीज छत्तीसगढ़ में बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है।  जिस तरह शिव जी की पति रूप में प्राप्ति के लिए पार्वती  माता ने घोर तपस्या की थी ,उसी तरह  देवी पार्वती से प्रेरणा लेकर  कुंवारी लड़किया वर प्राप्ति के लिए या सुहागने पति की लम्बी आयु के लिए ये निर्जला व्रत रखती हैं।  छत्तीसगढ़ के अलावा राजस्थान,उत्तरप्रदेश,बिहार,झारखण्ड जैसे राज्यों में भी इसे मनाया जाता है।  

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कब मनाया जाता है :

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतिया को तीज का त्यौहार मनाया जाता है। 

कैसे मनाया  जाता है :

छत्तीसगढ़ में तीज का काफी महत्त्व है। तीज के लिए बेटियों को मायके से पिता या भाई बड़े आदर के साथ घर (मायके ) ले कर आते हैं। 
तीज का त्यौरा खुशियों से भरा होने के साथ साथ कई तरह की  तैयारियों और बिना पानी और खाने के रहने वाला कठिन प्रक्रिया है।  

तीज की तैयारियां :

 
तीज की तैयारियों में बेटियों को मायके की तरफ से २ साड़ियां (एक पहनने के लिए और एक पूजा में चढ़ाने के लिए ),श्रृंगार का सामान,तरह तरह के व्यंजन बनाना  ,करू भात,मेहंदी लगाना,तीज का निर्जला व्रत रखना, फुलेरा सजाना ,रात्रि जागरण एवं प्रदोष काल में पूजा ,और अगले दिन सुबह फ़ुलेरा विसर्जन के बाद तीखुर,साबूदाने की मीठी खीर या फिर सिंघाड़े के हलवे जैसे मीठे से व्रत तोड़ने की विधि शामिल है।  


करू(कड़वा)भात :

तीजा के एक रात पहले करेला और भात (पका चांवल) खाने की परम्परा है।  करेले के कड़वे स्वाद के कारण इसे करू (कड़वा ) कहा जाता है।  महिलाएं रिश्तेदारों या पड़ोसियों के आमंत्रण पर उनके घर जाकर भोजन करती है। करू भात का कारण  काफी तथ्यपूर्वक है। 
निर्जला व्रत के पूर्व मन शुद्धिकरण,आमाश्य और आँतों को सहज बनाये रखना  ,पित्त नियंत्रण ,भारीपन एवं गाला सूखने जैसी समस्या से राहत देती है।  

                                       करेला रेसिपी 




तीज की पूजा :

तीज की पूजा में  शंकर -पार्वती एवं गणेश की  धातु  या फिर काली मिटटी से बनी मूर्तियों की पूजा होती है।  फुलेरा जो की फूलों से बना मंडप  होता है,जो की बहुत खूबसूरती से सजाया जाता है।  श्रृंगार की सामग्री पार्वती माता को चढाई जाती है। प्रसाद के रूप में नैवैद्य ,तीखुर ,साबूदाना खीर,सिंघाड़े के हलवे जैसे मीठे पकवान के साथ साथ पूरी सुहाली चढाई जाती है। 

तीज की पूजा शाम को की जाती है पूजा एवं आरती पश्चात,रात्रि जागरण  किया जाता है।  अगली सुबह फुलेरा और बाकी पूजा सामग्री ठंडा कर प्रसाद ग्रहण किया जाता है। 

तीखुर : तीखुर को सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। जो की निर्जला व्रत के बाद  प्रथम भोजन  के रूप में उचित होता है और पेट को अच्छा रखता है। 

तीज के पकवान : 

तीजा  के कुछ दिनों पहले ही कई तरह की छत्तीसगढ़ रेसिपीज़ (Chhattisgarh Recipes)जैसे  पीडिया ,खुरमी ,ठेठरी , पपची  बनाया जाता है।  

तीज के पकवान 


साथ ही तीज के दूसरे दिन भोजन में पारम्परिक रूप से बोर बासी और  कढ़ी खायी जाती है।  साथ ही  दिन  पूरी ,बड़ा, भजिया बनाया जाता है जो कि  अन्य घरो में बांटने और न्योते पर आये लोगो को खिलाया जाता है।  

 
तीज का खाना 


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