नवरात्रि : नवरात्रि हिन्दुओं का पर्व है ,जो नौ दिनों तक चलता है। साल में ४ बार नवरात्रि आती है ,जिसमें से शारदे एवं चैत्र नवरात्र को विशेष माना जाता है।
मां दुर्गा को शक्ति स्वरूप माना जाता है और इनके नौ अलग अलग रूपों को नौ दिनों तक पूजा जाता है।हर रूप की महत्ता और मान्यता अलग अलग है ।
नवरात्रि के नव दिन मनुष्य के आत्म चिंतन एवं मनन के दृष्टी से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। जिसमें आंतरिक ऊर्जा का स्थांतरण अलग अलग आंतरिक चक्रों से होता हुआ ,मनुष्य की प्रवृति को रज ,तम से सद गुण (क्रोध, अहंकार से शांत चित्त) की ओर ले जाती है ।
हर दिन के प्रसाद/ भोग एवं वस्त्रों के रंग नव देवियों के पसंद अनुसार विशेष होते हैं ।
Navratri special celebrations, list of prasad and dress code |
Ghee- Navratri Day 1 Prasad/Bhog |
दूसरा दिन : नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है ,ब्रह्मचारिणी का अर्थ है जो ब्रह्मचर्य का आचरण करे। माँ के तपस्विनी रूप की पूजा की जाती है।इस दिन समस्त सिद्धि ,तप और सयंम की प्राप्ति होती है।ब्रह्मचर्य को विद्यार्थी रूप में देखा जाता है ,यह दिन ज्ञान ,एकाग्रता,लक्ष्य ,इच्छाशक्ति की कामना को पूर्ण करता है.
माता को शक्कर या मिश्री भोग के रूप में चढाई जाती है।
Sugar/Shakkar-Navratri Day 2 Prasad/Bhog |
तीसरा दिन : नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा का होता है। मस्तक पर घंटे के आकार का चन्द्रमा धारण होने के कारण चंद्रघंटा कहा जाता है। शांत और विनम्रता लिए हुए माँ की काया सभी तरह के भय ,डर और कष्टों को दूर करती है ,और वीरता ,पराक्रम एवं निर्भयता प्रदान करते हैं।
माँ चंद्रघंटा को दूध या दूध से बने पकवान का भोग लगाया जाता है।
Doodh/Milk-Navratri Day 3 Prasad/Bhog |
चौथा दिन : नवरात्रि का चौथा दिन माँ कुष्मांडा का होता है। कु का अर्थ है छोटा ,ऊष्मा का अर्थ ऊर्जा या शक्ति , अंड का अर्थ ब्रह्माण्ड (cosmic energy ) . माता कूष्माण्डा को ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति बहुत सरलता से करने वाली वाली माना जाता है। संस्कृत में कुष्मांड का अर्थ कद्दू /कुम्हड़ा होता है ,जो की एक छोटे गोलाकार सरचना के अंदर अपनी पूरी ऊर्जा समेटे हुए होता है। माता को सफ़ेद कुम्हड़ा (रखिये ) की बलि भी पसंद है। माँ सुख, धन , बल प्रदान करने वाली और निरोग बनाने वाली होती है।
इस दिन माँ कुष्मांडा को मालपुए का भोग चढ़ाया जाता है।
Maalpue-Navratri Day 4 Prasad/Bhog |
पांचवा दिन : नवरात्रि का पांचवा दिन माँ स्कंदमाता का होता है। स्कन्द (कार्तिकेय) बाल्यावस्था में माता की गोद में बैठे होने के कारण माँ के इस रूप को स्कंदमाता कहा जाता है। स्कंदमाता मोक्ष ,सुख ,समृद्धि एवं प्रसिद्धि प्रदान करने वाली होती है।
माँ स्कंदमाता को केले का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
Banana/Kela-Navratri Day 5 Prasad/Bhog |
छठवां दिन : नवरात्रि का छठवां दिन माँ कात्यायनी का होता है,जो की देवी पार्वती सबसे उग्र रूप हैं । ऋषि कात्यायन को पुत्री रूप में प्राप्त होने के कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा। देवों के क्रोध से उत्पन्न देवी ने अपने उग्र स्वरुप में महिषासुर का वध किया था। देवी का ध्यान करने वाले को भय ,संताप,दुःख से मुक्ति मिलती है साथ ही शक्ति एवंम साहस का अनुभव होता है। कात्यायनी अमोघ व्रत विवाह विलम्ब एवमं बाधा दूर करने वाला होता है।
देवी कात्यायनी को शहद (honey ) का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
Honey/Shahad-Navratri Day 6 Prasad/Bhog |
सांतवा दिन : नवरात्रि का सातवां दिन देवी कालरात्रि की पूजा का होता है। इन्हे काली,महाकाली,रुद्राणी,चंडिका नाम से भी जाना जाता है ,और ये महाभयंकर ,उग्र रूप धारिणी देवी पार्वती का स्वरुप है। कालरात्रि देवी उपासना सभी तरह के भय ,ग्रह बाधाओं और नाकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाला होता है। देवी का रंग रात्रि की तरह काला होता है और बाल बिखरे होते है,इन्हे रात्रि की नियन्त्रा के रूप में जाना जाता है।
देवी कालरात्रि को गुड़ का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
Gud-Navratri Day 7 Prasad/Bhog |
आठवां दिन : नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी का पूजन होता है। गौरवर्ण (श्वेत ) और अति कांतिमयी होने के कारण इन्हे महागौरी की उपमा दी जाती है। देवी का यह स्वरूप सुन्दर ,करूणामयी,शांत और स्नेह से भरा हुआ, सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला होता है।
माता महागौरी को नारियल का भोग अतिप्रिय होता है।
Nariyal/Coconut-Navratri Day 8 Prasad/Bhog |
नवां दिन : नवरात्रि का नवां दिन माँ सिद्धिदात्री का होता है। जिस तरह शिव जी ने सभी सिद्धियों को प्राप्त किया एवं अर्धनारीश्वर रूप में माँ सिद्धिदात्री को प्राप्त किया। माँ सिद्धिदात्री सभी आठों सिद्धियों को प्रदान करने वाली,रोग शोक से मुक्त करने वाली एवं सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली होती है।मानव के अलावा देव,यक्ष ,असूर ,ऋषि सभी सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं।
माता सिद्धिदात्री को तिल का भोग लगाया जाता है।
Til/Sesame -Navratri Day 9 Prasad/Bhog |
नवरात्रि का दसवां विजयदश्मी कहलाता है जिसका अर्थ है , दसवें दिन में मिली हुई विजय (Triumph on 10th day), जिसका अपना बड़ा महत्त्व है। आयुध पूजा या सरस्वती पूजा भी की जाती है।
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